°भटके मुसाफ़िर को अब्र-ए-बहार की राह मिलेअंधेरा रात का हटे सुब्ह-ए-नौ की सौगात मिलेहोगी इनायत साहिर, कर दे कोई तिलिस्म ऐसादीदार-ए-यार हो जाए, हर ग़म से निजात मिले@ShayariByArsalan
कौन कहता है मैं शायरी शौक के लिए करता हूंबहुत कुछ नही बोल पाता तो कलम उठा लेता...
भटके मुसाफ़िर को अब्र-ए-बहार की राह मिले

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