Sunday, April 12, 2020

हाथ मिलाने से भी महरूम रहे

हाथ मिलाने से भी महरूम रहे
आज तक बनते रहे हैं जो हमारे ज़ामिनउन से हम हाथ मिलाने से भी महरूम रहे– जगदीश प्रकाश अजनबी रंग छलकता हो अगर आँखों सेउन से फिर हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है– नदीम गुल्लानीवक़्त के साथ ‘सदा’ बदले तअल्लुक़ कितनेतब गले मिलते थे अब हाथ मिलाया न गया– सदा अम्बालवीवो वक़्त...