अभी एक टूटा तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क न पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।
लगा कर आग सीने में, चले हो तुम कहाँ, अभी तो राख उड़ने दो, तमाशा और भी होगा।सजा ये है की बंजर जमीन हूँ मैं, और जुल्म ये है की बारिशों से इश्क़ हो गया।तरस आता है मुझे अपनी, मासूम...
अभी एक टूटा तारा देखा
