Monday, April 27, 2020

हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई!

लिखी है खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में, हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई!!




जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये, जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!





दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई… हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए…




कैसे दूर करूँ ये उदासी, बता दे कोई, लगा के सीने से काश, रुला दे कोई।






शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं। वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते।







निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से

निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से, भीगे कागज़ की तरह, न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के।





वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए।







पलकों की हद तोड़ के, दामन पे आ गिरा, एक आसूं मेरे सब्र की, तोहीन कर गया।






अब मोहब्बत नहीं रही इस जमाने में, क्योंकि लोग अब मोहब्बत नहीं मज़ाक किया करते है।







छोड़ दिया हमने तेरे ख्यालों में जीना, अब हम लोगों से नहीं, लोग हमसे मोहब्बत करते है।







न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई, न वो वापस लोटी, न मोहब्बत दोबारा हुई..








मोहब्बत नही तो मुकदमा हि दायर कर दे जालिम, तारीख दर तारीख तेरा दीदार तो होगा।







मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे, छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश हैं!!







शीशे में डूब कर, पीते रहे उस “जाम” को, कोशिशें तो बहुत की मगर, भुला ना पाए एक “नाम” को।






दुआ करना दम भी उसी तरह निकले, जिस तरह तेरे दिल से हम निकले।







तलब ऐसी कि अपनी सांसों में समा लू तुझे, किस्मत ऐसी कि देखने को भी मोहताज हूँ तुझे!!








बिखरती रही जिंदगी बूँद-दर-बूँद, मगर इश्क़ फिर भी प्यासा रहा।







अच्छा है आँसुओं का रंग नहीं होता, वरना सुबह के तकिये रात का हाल बयां कर देते।







टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर, चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में!!








सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले, हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया।









हर दर्द का इलाज़ मिलता था जिस बाज़ार में, मोहब्बत का नाम लिया तो दवाख़ाने बन्द हो गये!!


हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे

हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे, छीले इतने गए कि “खंज़र ” हो गए…



खता उनकी भी नहीं है वो क्या करते, हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।




कत्ल हुआ हमारा इस तरह किस्तों में, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए।



रहता तो नशा तेरी यादों का ही है, कोई पूछे तो कह देता हूँ पी राखी है।




दर्द मुझको ढूंढ लेता है, रोज नए बहाने से, वो हो गया वाकिफ़, मेरे हर ठिकाने से।





मैं तो रह लूंगा तुझसे बिछड़ कर तन्हा भी, बस दिल का सोचता हूँ, कहीं धडकना न छोड़ दे!!





कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था…





छोड़कर अपनी यादों की निशानियां मेरे दिल में, वो भी चले गये वक्त की तरह।






टूट कर चाहना और फिर टूट जाना, बात छोटी है मगर जान निकल जाती है।






मौहब्बत की मिसाल में बस इतना ही कहूँगा… बेमिसाल सज़ा है, किसी बेगुनाह के लिए!!





कल रात का आलम इस कदर था यारो, उसकी यादों ने मेरी आँखो को सोने ना दिया!!







बहुत मासूम होते है ये आँसू भी, ये गिरते उनके लिए है, जिन्हें परवाह नहीं होती।





मुझे जिस चिराग से प्यार था… मेरा सब कुछ उसी ने जला दिया…






चले जायेंगे एक दिन, तुझे तेरे हाल पर छोड़कर… कदर क्या होती हैं प्यार की, तुझे वक़्त ही सीखा देगा…






माफ़ी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल, तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं।








हमे क्या पता था, आसमान इस कदर रो पडेगा, हमने तो बस उसे अपनी दास्तां सुनाई थी!!






शायरी के लिए कुछ ख़ास नहीं चाहिए, एक यार चाहिए और वो भी दगाबाज चाहिए।





लगता है मैं भूल चुका हूँ, मुस्कुराने का हुनर, कोशिश जब भी करता हूँ, आँसू निकल आते हैं..!





मैने माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में, चाहने वालों ने तो आग ही लगा दी।





ख्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की, पर किस्मत में दर्द लिखा हो तो मुहब्बत कैसे ना होती।





किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी खुदा ने, बस वही पन्ना गुम था जिसमें मुहब्बत का जिक्र था।






न जाने कौन सी साजिशों के हम शिकार हुए, जितना साफ दिल रखा उतने ही हम दागदार हुए।







मत पूछ मुझे… क्या गम है! तेरे वादे पे ज़िंदा हूँ, क्या कम है!!







वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हूँ मैं, उसे क्या पता ओढ़ के चादर रो रहा हूँ मैं।






निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला की… हर वह शख्स अकेला है, जिसने मोहब्बत की है!