Monday, April 27, 2020

हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई!

लिखी है खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में, हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई!!




जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये, जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!





दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई… हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए…




कैसे दूर करूँ ये उदासी, बता दे कोई, लगा के सीने से काश, रुला दे कोई।






शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं। वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते।







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